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भारतीय पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। प्रत्येक वर्ष एक विशेष संवत्सर की पहचान होती है, इस नव वर्ष से विक्रम संवत् 2082"सिद्धार्थी" नामक संवत्सर की गणना की गई है।
नवसंवत का विशेष नाम और फल होता है और पूरे संवत के लिए ग्रहों का एक मंत्रिमंडल भी होता हैl इसी मंत्रिमंडल के ग्रहों के आधार पर पूरे संवत के लिए शुभ-अशुभ फलों का निर्धारण होता है. मौसम, अर्थव्यवस्था, जनता, सुरक्षा और कृषि इन्हीं ग्रहों के मंत्रिमंडल पर निर्भर करती है.यह वर्ष विशेष रूप से व्यापार, शिक्षा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ रहेगा l
इस वर्ष का प्रारंभ (30 मार्च 2025 )रविवार से होने के कारण राजा सूर्य देव है l मंत्री भी स्वयं सूर्य ही हैl यह संवत् सिद्धि, समृद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता हैI
सूर्य को ग्रहों में प्रथम व राजा कहा गया है l जब राजा ही नव वर्ष में राज करेंगे तो अन्य ग्रह तो उनके ही अधीन रहेंगे और वही राजा बिना किसी और की सलाह लिए ही कार्य करेंगे, अर्थात् स्वयं ही मंत्री का कार्य भी संभालेंगे तो निर्णय लगभग एकतरफा रहेगा l जहां कुछ पक्षों में लाभदायक तो कुछ पक्षों में नकारात्मक प्रभाव भी दिखेंगेl ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो सूर्य संबंधित सभी क्षेत्रों में वृद्धि रहेगी राजकीय पक्ष में अधिक बलशाली दिखेगा शासन स्वयं की मनमानी कर सकता है l वर्ष का आरंभ में ही छ: सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र, शनि,राहु ग्रहों की युति एक ही राशि पर है जो किसी वैश्विक बदलाव या फैसले का संकेत है l इस वर्ष अत्यधिक उष्णता युक्त रहने की संभावना बताती है l
महत्व-